एमबीपीजी कॉलेज में तैयार हुआ ‘धरोहर’, म्यूजियम में उत्तराखंड के लोक जीवन के चित्र और फोटो संजाेए गए

एमबीपीजी कॉलेज


एमबीपीजी कालेज हल्द्वानी में विद्यार्थियों को प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत और विशिष्ट परंपराओं से रूबरू कराने के लिए 'धरोहर' नाम से म्यूजियम तैयार हो गया है। जिसमें विस्तृत जानकारी के साथ सहेजी गई तस्वीरों में प्रदेश की लोक संस्कृति, लोक जीवन की झलक है।

मुख्यमंत्री नवाचार योजना के तहत 'धरोहर' म्यूजियम को करीब पांच लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया है। यूजीसी और नैक के समन्वयक प्रो. सीएस नेगी ने बताया कि योजना के तहत उन्होंने इस प्रोजेक्ट को बनाकर शासन को प्रस्ताव भेजा। शासन की मंजूरी के बाद पूर्व प्राचार्य प्रो. बीआर पंत और प्राचार्य प्रो. एनएस बनकोटी के सहयोग से प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने का कार्य किया गया।

जिसके लिए प्रसिद्ध चित्रकारों और इतिहासकारों की मदद से प्रदेश की लोक संस्कृति का संकलन किया और फोटो फ्रेम में उनकी विशेषता साथ म्यूजियम में सहेजा गया है। प्रदेश की सांस्कृतिक और जैव विविधता, ऐपण, लोक वाद्य यंत्र, पारंपरिक पहनावा, विशिष्ट मेले, पौराणिक मंदिर, नक्काशी, नौले, धारे आदि को इसमें शामिल किया गया है।

म्यूजियम में ये सब नजर आएगा

म्यूजियम में जनेऊ चौकी ऐपण, सरस्वती चौकी ऐपण, आसन चौकी ऐपण, सूर्य दर्शन चौकी ऐपण, विवाह चौकी, लक्ष्मी पग, बिणाई, ढोल, हुडुक या हुड़की, दमाऊ, मोछंग, डफली, मशकबीन, केदारनाथ, कार्तिक स्वामी, कोटेश्वर महादेव, गुप्त काशी, बद्रीनाथ, बागनाथ, बैजनाथ, जागेश्वर, चितई गोलू देवता, नंदा देवी, कसार देवी, दूनागिरी, मनसा देवी, चंद्र बदनी मंदिर, बग्वाल, रम्माण मेला, गेंदा कौथिक, माघ मेला, बसंतोत्सव, झंडा, तारकेश्वर, बिस्सू, बैशाखी मेला, बद्री केदार, हिलजात्रा, छिपला केदार, नंदा राजजात यात्रा, फूलदेई त्योहार, जाखौली मेला, उत्तरायणी मेला, गौचर मेला, छोलिया नृत्य, हुड़का बोल आदि शामिल किया गया है। इसके अलावा पहाड़ के विशिष्ट पशु, पक्षी और वृक्षों की प्रजातियां भी यहां नजर आएंगी।

इन चित्रकारों की तस्वीरें शामिल कीं

अनूप साह, अपूर्व पांडे, जय मित्र सिंह बिष्ट, तपन पुनेठा, अजय रस्तोगी, दीपक रस्तोगी, मनोज सिंह, भूपेश कोटलिया, जय प्रकाश पवार, जीतू बोरा, आइएफएस मनोज चंद्रन, रोहित नयाल, अनुजा मेलकानी, साक्षी नेगी, अशोक पांडे।

इनका भी होगा संकलन

प्रो. सीएस नेगी ने बताया कि म्यूजियम को आने वाले समय में और विस्तृत बनाया जाएगा। इसमें कृषि विविधता, उत्तराखंड के आंदोलन, विभूतियां, एकेडमिक से जुड़ी उपलब्धियां, पारंपरिक बर्तन और पेशे आदि शामिल किए जाएंगे। जिस पर काम चल रहा है। एमबीपीजी कालेज प्राचार्य प्रो. एनएस बनकोटी ने बताया कि धरोहर से विद्यार्थियों को एक ही जगह पर प्रदेश की पूरी लोक संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलेगा। इसमें फोटो के साथ उसकी विशेषता के बारे में विस्तार से जिक्र किया गया है। जल्द इसका शुभारंभ किया जाएगा।


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