कुमाऊं में दवा की दुकानें कोरोनाकाल के बाद 25 प्रतिशत बढ़ गई हैं, लेकिन निरीक्षण के लिए विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है। इसका नुकसान यह है कि नशे के रूप में नारकोटिक्स दवाइयों की मनमानी बिक्री पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। वर्तमान में कुमाऊं के छह जिलों के
लिए केवल दो और गढ़वाल में केवल तीन औषधि निरीक्षक ही कार्यरत हैं।
राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने बताया कि कहीं पर भी मनमानी न हो, इसके लिए औचक निरीक्षण किया जा रहा है। निश्चित तौर पर औषधि निरीक्षकों की कमी है। इन पदों को भरने के लिए राज्य लोक सेवा आयेाग को अध्याचन भेजा गया है।
कुमाऊं में करीब चार हजार दुकानें
कुमाऊं के छह जिलों में कोरोना से पहले दवा की करीब 3200 दुकानें थी। पिछले दो साल से दुकानें खोलने को लेकर मारामारी चल रही है। करीब 25 प्रतिशत संख्या बढ़ गई है। यह संख्या अब करीब चार हजार हो चुकी है।
यह है पदों की स्थिति
राज्य में औषधि निरीक्षकों का जबरदस्त टोटा है। इसके लिए सरकार गंभीर नहीं है। कई वर्ष पहले ड्रग विभाग की ओर से भी राज्य लोक सेवा आयोग को औषधि निरीक्षकों के 19 पदों के लिए अध्याचन भेजा था, लेकिन अभी तक नियुक्ति नहीं हो सकी है। वर्तमान में 19 पदों के सापेक्ष केवल छह औषधि निरीक्षक ही कार्यरत हैं।