उत्तराखंड का पहला तरणताल (Swimming Pool) खस्ताहाल हो चुका है। सिस्टम की अनदेखी के कारण लगातार तीसरे साल भी यहां तैराकी शुरू नहीं हो सकी है। ऐसे में स्वीमिंग में कॅरियर बनाने का सपना देखने वाले बच्चों को प्रैक्टिस का मौका नहीं मिल पा रहा है।
वर्ष 1999 में तरणताल बनकर तैयार हो गया था। इसमें खिलाडिय़ों को प्रतिभा दिखाने का मौका मिला और कई खिलाडिय़ों ने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग किया। समय के साथ सिस्टम ने तरणताल की अनदेखी करना शुरू कर दिया। सालों से खराब फिल्टर को आज तक नहीं बदला गया।
पहले कोरोना संक्रमण के कारण दो सालों से तरणताल में ताला लटका रहा। अब फिल्टर खराब होने का हवाला देकर खेल विभाग ने हाथ खड़े कर दिए हैं। तरणताल बंद होने से जिले के दर्जनों खिलाडिय़ों को अपनी प्रतिभा उजागर करने का अवसर नहीं मिल पा रहा है।
50 मीटर है तरणताल की लंबाई तरणताल की लंबाई करीब 50 मीटर है। तरणताल बनने के साथ ही 25 लाख की लागत से फिल्टर प्लांट भी बना। मगर दस साल पहले प्लांट ने दम तोड़ दिया। इसकी मरम्मत के लिए कई बार प्रस्ताव भेजा जा चुका है। लेकिन यह सही नहीं हो सका।
300 खिलाड़ी करते थे प्रैक्टिस 25 खिलाड़ी तरणताल में तैराकी सीख नेशनल तक खेल चुके हैं। विभाग के अनुसार कोविड से पहले 300 बच्चे यहां सुबह व शाम को प्रैक्टिस के लिए आते थे। खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने के लिए दो ट्रेनर भी तैनात किए गए थे। ट्रेनर भी पिछले दो तीन साल से बेरोजगार हैं।
तरणताल सूखा, लगी काई भीषण गर्मी के कारण तरणताल सूख चुका है। नाम मात्र का जो पानी बचा है उसमें काई लग चुकी है। तरणताल परिसर में बड़ी-बड़ी झाडिय़ां उग चुकी हैं। आसपास के लोगों ने गेट से सामने ही कूड़ा फेंकना भी शुरू कर दिया है। जिला क्रीड़ा अधिकारी रशिका सिद्दीकी ने बताया कि तरणताल का फील्टर खराब पड़ा हुआ है। इसे सही कराने के प्रयास जारी हैं। खेल प्रतिभाओं को बढ़ाने के लिए तैराकी की वैकल्पिक व्यवस्था कराने की तैयारी है।