देश-दुनिया में प्रसिद्ध हैड़ाखान मंदिर (Haidakhan temple) को अब शिफ्ट किया जाएगा। पहले जमरानी परियोजना (Jamrani Dam) से जुड़े अधिकारी इस प्रस्ताव पर विचार कर रहे थे कि मूल जगह पर ही इस मंदिर को पिलरों की मदद से ऊंचाई पर ले जाया जाएगा। जिसे एलीवेटेड संरचना कहते हैं।
लेकिन ज्योलोजिकल सर्वे में यह डिजाइन पास नहीं हो सका। इसलिए अब मंदिर को मूल जगह यानी नदी किनारे से 50 मीटर ऊपर वन पंचायत की जमीन पर शिफ्ट किया जाएगा। जमरानी परियोजना के अफसरों के मुताबिक इस मामले में हैड़ाखान मंदिर समिति से वार्ता हो चुकी है।
प्रस्तावित जमरानी बांध भविष्य की सबसे बड़ी जरूरत बन चुका है। हल्द्वानी में बढ़ते जल संकट को खत्म करने, सिंचाई की नई व्यवस्था और बिजली उत्पादन इससे होगा। बांध की जद में 400 हेक्टेयर जमीन आ रही है। 350 हेक्टेयर वनभूमि और 50 हेक्टेयर निजी भूमि मिलने की राह साफ हो चुकी है। बस छह गांवों के लोगों का विस्थापन किया जाना है।
किच्छा के प्राग फार्म में विस्थापन के प्रस्ताव को अब कैबिनेट की मुहर का इंतजार है। वहीं, जमरानी परियोजना के अधिशासी अभियंता (पुनर्वास) बीबी पांडे ने बताया कि सोमवार को राजस्व और वन विभाग की टीम संग संयुक्त सर्वे किया गया था। इस दौरान हैड़ाखान मंदिर के विस्थापन को लेकर ढूंढी गई नई जमीन को भी देखा गया। जल्द मंदिर शिफ्ट करने का प्रस्ताव तैयार कर लिया जाएगा।
वन विभाग से लेनी होगी ढाई एकड़ जमीन हैड़ाखान मंदिर से सटा उसका आश्रम भी है। इन दोनों को शिफ्ट करने के लिए 50 मीटर दूर मुरकुडिय़ा गांव से लगती वन पंचायत की भूमि को देखा गया है। जो कि नैनीताल डिवीजन की बड़ौन रेंज का हिस्सा है। यह जमीन पूर्व में बांध के लिए चयनित 400 एकड़ जमीन से अलग है। जमरानी परियोजना के अफसरों के मुताबिक इसे लेने के लिए अलग से प्रक्रिया शुरू होगी। हालांकि, अहम प्रोजेक्ट होने के कारण ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी।
मंदिर का क्षेत्र झील का हिस्सा जमरानी बांध को पानी उपलब्ध कराने के लिए दस किमी लंबी झील बनेगी। यह बांध के ऊपरी क्षेत्र में होगी। इस झील के दायरे में अधिकांश निजी लैंड आ रही थी। अब हैड़ाखान मंदिर भी भविष्य में झील के अंदर समा जाएगा। हैड़ाखान मंदिर में साल भर विदेशी भक्तों का तांता लगा रहता है।
पिलरों के सहारे उठाया जाएगा मंदिर अधिशासी अभियंता (पुनर्वास) बीबी पांडे ने बताया कि प्रयास था कि मंदिर को मूल जगह पर पिलरों के सहारे ऊंचा उठाकर स्थापित कर दिया जाए। इसके लिए मृदा परीक्षण व ज्योलोजिकल सर्वे भी किया गया। लेकिन झील में पिलर होने पर दिक्कत आ सकती थी। इसलिए महज 50 मीटर दूरी पर ऊंचाई वाली जगह पर ढाई एकड़ में हैड़ाखान मंदिर को शिफ्ट करने की कवायद शुरू की जाएगी।