जनवरी 2020 में देश में कोरोना का पहला मामला सामने आने के बाद विवाह समारोह पाबंदियों में संपन्न हुए। दो वर्ष से अधिक अंतराल के बाद पहला मौका होगा जब बिना किसी पाबंदियों के मांगलिक कार्य हो सकेंगे। उत्तराखंड में प्रचलित सौर गणना आधारित पंचांग के मुताबिक 14 अप्रैल से वैशाख मास की शुरुआत हो चुकी है। 16 अप्रैल से विवाह लग्न भी शुरू हो रहे हैं। इस बार आठ जुलाई तक विवाह समारोह की धूम रहेगी। करीब तीन माह के दौरान विवाह के 32 मुहूर्त इस बार मिलेंगे। इस दौरान सर्वाधिक 14 मुहूर्त मई में मिलने जा रहे हैं। सहालग को लेकर व्यापारी भी उत्साहित हैं।
माहवार विवाह लग्न
अप्रैल : 16, 19, 20, 21, 22, 23 व 24
मई : 2, 3, 9, 10, 11, 12, 16, 17, 18, 20, 21, 26, 27 व 31
जून : 1, 6, 8, 10, 11, 21 व 23
जुलाई : 3, 5, 7 व 8
इस साल कुल नौ माह में शुभ मुहूर्त
वर्ष 2022 में शादियों के लिए नौ माह ही शुभ हैं। शेष तीन माह अगस्त, सितंबर और अक्टूबर चातुर्मास होने के कारण इनमें कोई सहालग नहीं है। बाकी नौ माह में 69 दिन ही शादियों के मुहूर्त रहेंगे। इनमें 29 दिन तो शादियों के शुभ मुहूर्त हैं। इसके अतिरिक्त ऐसी भी कुछ तिथियां हैं, जिनमें शादियां की जा सकेंगी, जैसे अक्षय तृतीया आदि।
जनवरी, फरवरी मार्च में कम रहे शुभ मुहूर्त
बीते माह जनवरी में 22, 23, 24 और 25 तारीख यानि सिर्फ चार मुहूर्त हैं। फरवरी में 5, 6, 7, 9, 10, 11, 12, 18, 19, 20 और 22 फरवरी अर्थात 11 शुभ मुहूर्त रहेंगे। मार्च में 4 और 9 तारीख हो शादियां हो सकेंगी।
बाजार में दिखेगी रौनक
शादी के सीजन में बार बाजार में भी रौनक आने की उम्मीद है। विवाह से जुड़े कारोबार का एक बड़ा बाजार है। अमूमन अप्रैल व मई में पड़ने वाली शादियों के लिए टेंट-शामियाना, लाइट, साउंड, फूल, रसोइया, कैटरिंग सर्विस, विवाह भवन, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, किराना, ज्वेलरी, कपड़े, दूध-दही आदि के कारोबार से जुड़े लोगों की बुकिंग पहले से हो चुकी है। बीते दो सालों में कोरोना संकट के कारण कई शादियां टली थी, लेकिन इस बार परिस्थितियां सामान्य होने के कारण लोग शादियां तय कर रहे हैं और समारोह की तैयारियों में जुट गए हैं।
10 जुलाई को हरिशयनी एकादशी
जुलाई में चातुर्मास शुरू होगा। चार महीने के इस काल में मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। इस बार 10 जुलाई को हरिशयनी एकादशी है। चार नवंबर को हरिबोधिनी एकादशी है। ज्योतिषचार्य डा नवीन चंद्र जोशी कहते हैं कि चातुर्मास में सृष्टि के संचालन भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करते हैं। इस दौरान मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथ आने ने धार्मिक महत्व के आयोजन होते हैं।