महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए देश में तमाम तरह की योजनाओं चल रही हैं। हर दिन सरकार बेटियों के लिए नई योजनाएं लेकर आ रही है। यहां तक कि भारत सरकार ने बेटियों को अब एनडीए में जाने की अनुमति भी दे डाली है, लेकिन इन सबके बीच यदि महिलाओं को आगे बढ़ने की सुविधाएं न मिले तो समाज और देश का विकास अधूरा ही रहेगा। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में यही हाल इन दिनों आईटीआई हल्द्वानी की महिला प्रशिक्षुओं का नजर आ रहा है। करीब सात माह पूर्व महिला और पुरुष आईटीआई को समायोजित कर दिया गया है। तब से महिला प्रशिक्षुओं के बैठने की सही से व्यवस्था नहीं हो पाई है।
आईटीआई हॉस्टल में महिला प्रशिक्षुओं की कामचलाऊ कक्षाएं चल रही हैं। महिलाओं के बैठने के लिए इन कक्षाओं में सही से जगह तक नहीं हो पा रही है। प्रैक्टिकल के लिए अलग से कक्ष नहीं है। एक ही कक्ष में प्रैक्टिकल और थ्योरी की कक्षाएं चल रही हैं। यहां तक कि कमरे के एक कोने में कार्यालय भी खोल दिया गया है। कक्षों की लंबाई, चौड़ाई इतनी कम है कि उपकरणों ने आधी से अधिक जगह घेर रखी है। जैसे तैसे जगह बनाकर छात्राओं को इन कक्षाओं में बैठाया जा रहा है। इससे महिला प्रशिक्षुओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। न तो उन्हें बैठने के लिए पूरा स्थान मिल रहा है और न ही प्रैक्टिकल ढंग से हो रहे हैं।
आईटीआई के प्रति घट रही महिलाओं की रूचि, इस वर्ष मात्र 59 लिया प्रवेश
रोजगार के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण संस्थान के प्रति महिला अभ्यर्थियों की रूचि लगातार घटते जा रही है। आईटीआई में महिलाओं के लिए चार ट्रेड संचालित हैं। इनमें 116 सीटें निर्धारित हैं। इतनी कम सीटें होने के बावजूद भी सीटें नहीं भर रही हैं। इस वर्ष मात्र 59 महिला प्रशिक्षुओं ने आईटीआई में प्रवेश लिया है। ट्रेड कोपा (कंप्यूटर ऑपरेटर) में 48 सीटों के सापेक्ष 38, स्विंग टेक्नोलॉजी में 20 में से 8, आशुलिपि हिंदी में 24 में से 12 महिलाओं ने ही प्रवेेश लिया है। वहीं मैकेनिकल इलेक्ट्रॉनिक्स में 24 सीटों के सापेक्ष मात्र एक महिला ने प्रवेश लिया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है आईटीआई के प्रति महिलाओं में अब वे रूचि नहीं रही। वहीं मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते भी महिलाओं की आईटीआई करने को लेकर रूचि कम हो रही है। जबकि जनरल और ओबीसी वर्ग के प्रशिक्षुओं की फीस 3900 रुपये और एससी, एसटी की 2900 रुपये मात्र है।
महिला और पुरुष आईटीआई को समायोजित कर दिया गया है। वर्तमान में आईटीआई हॉस्टल की कक्षाओं में महिला प्रशिक्षुओं की कक्षाएं चल रही हैं। महिलाओं के लिए अगल से भवन निर्माण के लिए सरकार को पूर्व में प्रस्ताव भेजा गया है। इसके तहत धनराशि प्राप्त हो चुकी है। महिलाओं प्रशिक्षुओं के लिए भवन निर्माण की तैयारी चल रही है।
जेएस जलाल, संयुक्त निदेशक और प्रधानाचार्य आईटीआई।
