
Trayodashi Puja : त्रयोदशी पूजा के प्रभाव से मिलता है शत्रु पर विजय प्राप्ति का वरदान
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त्रयोदशी से दूर होता है ग्रह दोष का प्रभाव
इसलिए इस दिन में सोम से रवि तक का दिन तिथि अनुसार नव ग्रहों की पूजा एवं व्रत के लिए अत्यंत ही सकारात्मक फलों को देने वाला माना गया है. मान्यता है कि त्रयोदशी व्रत के प्रभाव से शत्रु पर विजय का वरदान मिलता है और काम बिना किसी बाधा के पूरे होते हैं. आइए जानते हैं सावन माह में आने वाले त्रयोदशी तिथि व्रत का लाभ एवं महत्व.
सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद साफ कपड़े पहनकर भगवान का स्मरण करना चाहिए. व्रत और पूजा का संकल्प लेते हुए पूजा आरंभ करनी चाहिए. शाम के समय पूजा के दौरान भोलेनाथ को बेलपत्र, भांग, फूल, धतूरा, गंगाजल, धूप, दीप, गंध आदि चढ़ाना चाहिए. भगवान शिव की आरती करनी चाहिए. अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत समाप्त करना चाहिए.
सावन त्रयोदशी से मिलती है शिव कृपा
शास्त्रों में त्रयोदशी व्रत के समय सुबह एवं शाम दोनों समय की पूजा अति विशेष फल देने वाली होती है. इस तिथि के दिन शाम के समय को भोलेनाथ की पूजा के लिए सबसे अच्छा और पवित्र समय बताया गया है, क्योंकि इस समय महादेव डमरू बजाते हुए प्रसन्न होकर नृत्य करते हैं तथा भक्तों को सुखों का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
शास्त्रों में प्रत्येक त्रयोदशी व्रत का अपना-अपना महत्व है, मान्यता है कि जो लोग प्रदोष व्रत करते हैं उन्हें शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है. अगर विरोधी आपके काम में बाधा बन रहा है या बिना वजह आपको परेशान कर रहा है तो त्रयोदशी व्रत के दिन शाम के समय शिवलिंग का जलाभिषेक करने से इस समस्या से राहत मिल सकती है.